लेखनी प्रतियोगिता -28-Dec-2022
एक बहार सी आ गई मानो दोस्ती थोड़ी भा गई
हुई बातें कुछ खास नहीं इंस्ट्रा से बात अब
व्हाटस ऐप पर आ गई
होती बहुत लड़ाई झगडे न होती थी बात चार पांच दिन
रह लेते बिन बात के हम क्या पता वो बिन बात के है बेहाल एकदम
जब फिर हुई बात तो बावली सी हरकत थी जाना न अब कही यही उलझन थी
मैं न जान पाई उसकी बातों को लगी हंसने की
क्या बोलते हो बावरेपन में
बोलता बहुत कुछ ,मैं मजाक में लेती थी
नादान बन मैं खूब मौज लेती थी,
खुद में मग्न और उसकी न सुनती थी
दोस्त था मेरा जो कभी नही थकता था
चुप हो जाओ मां मेरी कहने में भी डरता था
मैं न समझ पाती पढ़ाई में मेरे साथ खड़ा था
मेरे हर दिक्कत आने से पहले उसने आह भरा था
मुसीबत टल जाने में मैं जब बताती थी
अनजान था मानो
ओह ऐसा भी होता कह खुद कमजोर बन जाता था
वक्त बदलता गया जब तो उसने कह दी मुझसे
दिल की बात
मैं चुप उस वक्त बदल दी मैंने धीरे से बात
शायद नहीं की काफी टाइम बात
मेरा व्यवहार थोड़ा बदल गया था जान के
वो फिर एक दोस्त बना था
हर वक्त जब मेरे साथ रहा तो मेरा दिल भी
उसके लिए धड़कने लगा था
मैं पूछ ली तुमने पहले मुझसे क्या कहा था
फिर से उसने मुझे प्रपोज किया था
मैंने उसकी बातों को स्वीकार किया था
अब हाथ थाम भगवान की ओर खड़े थे
किस्मत में होगा साथ जरूर ऐसे बात हर रोज
कहे थे
खुदा भी मिला देता है एक जीवन साथी को
वक्त के साथ बस जज़्बात न बदले
इश्क की कहानी का इतिहास न बदले।
Renu
30-Dec-2022 08:04 AM
👍👍🌺
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Gunjan Kamal
29-Dec-2022 12:06 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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